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Channel: मेरी पसन्द –लघुकथा
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लघुकथा का प्रभाव

सतर-अस्सी के लघुकथा आंदोलन ने बहुतों को उद्वेलित किया था। पहचान को तरसती, लड़ती-झगड़ती लघुकथा को आख़िर अलग पहचान, उचित सम्मान-स्थान मिल ही गया। कोई नामकरण करता था – लघु कहानी, कोई लघु व्यंग्य, कोई लघु...

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कथ्य और शिल्प की पैनी धार

वाङ्मय अपना स्वरूप और स्वभाव समय और समाज के सापेक्ष बदलता रहता है। एक समय था जब साहित्य सृजन का माध्यम काव्य था। समय के साथ-साथ हिन्दी साहित्य में गद्य का आविर्भाव हुआ। गद्य के अनेक रूपों में...

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लघुकथाओं का प्रभाव

वाङ्मय अपना स्वरूप और स्वभाव समय और समाज के सापेक्ष बदलता रहता है।एक समय था जब साहित्य सृजन का माध्यम काव्य था।समय के साथ-साथ हिन्दी साहित्य में गद्य का आविर्भाव हुआ।गद्य के अनेक रूपों में...

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बार-बार आकर्षित करती लघुकथाएँ

            अब तक जो लघुकथाएँ मैंने पढ़ीं हैं, उनमें से किन्हीं दो का चुनाव करना मेरे लिए बहुत कठिन है, लेकिन यदि फिर भी चुनना ही पड़े, तो मैं सुकेश साहनी की ‘विजेता’ और अखिल रायज़ादा की ‘पहला संगीत’...

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मेरी पसन्द की लघुकथाएँ

  मेरी पसंद                                      कस्तूर लाल तागरा        ‘स्त्री कुछ नहीं करती’  लेखक अशोक भटिया एवं ‘ मुन्ने की समझ ‘ लेखक चैतन्य त्रिवेदी की लघुकथाओं के अलावा भी दर्जनों ऐसी लघुकथाएँ...

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प्रिय लघुकथाएँ

अब तक पढ़ी हुई लघुकथाओं में से दो का चयन  दुष्कर कार्य है। लघुकथा से मेरा परिचय 1994 में हुआ जब बिहार शिक्षा बोर्ड के नवीं कक्षा में स्वर्गीय भवभूति मिश्र की लघुकथा बची- खुची संपत्ति पढ़ी। पर यह क्रम...

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लघुकथा-पठन

वस्तुतः साहित्य में यह एक स्वाभाविक सी बात है कि जब कोई लेखक अपने अतिरिक्त किसी और का साहित्य पढ़ता है तो उसके द्वारा साहित्य-पठन के समय, उसकी दृष्टि सहज ही एक पाठक के साथ लेखकीय रूप में परिवर्तित हो...

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रचनात्मक संदेश

समय परिस्थिति एवं वातावरण के अनुरूप साहित्य के स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है। यही साहित्य की सुन्दरता है और इसी में साहित्य की सार्थकता है। लघुकथा साहित्य के इसी परिवर्तित स्वरूप का प्रतिफल है।...

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लघुकथाओं का प्रभाव

मैंने नब्बे के दशक में लघुकथाएँ पढ़नी शुरु कीं। उन दिनों दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, अजीत समाचार के रविवारीय संस्करणों में लघुकथाएँ छपा करती थीं।… तब हर रविवार मैं सारे...

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चर्चित विधा

लघुकथा आजकल की चर्चित विधा है, जिसमें लेखक कम शब्दों में अपने मन के भावों / विचारों को प्रकट करता है और गहरी बात लिखता है।  जिसको पढ़ते ही पाठक का मन चिंतन करने के लिए विवश हो जाए। सामाजिक विसंगतियों...

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समृद्ध विधा

पिछले कई वर्षों से बहुत से लघुकथाकारों की रचनाएँ पढ़ी हैं | लघुकाय आवरण में नपी-तुली महत्त्वपूर्ण शब्दावलi में ऐसी कसी हुई विधा कि जिसे पढ़कर पाठक का मस्तिष्क झनझना उठता है और लम्बे समय तक लघुकथाएँ...

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लघुकथा का सम्मोहन

कैसा है इस विधा का सम्मोहन कि वर्तमान युग में हर व्यक्ति इससे जुड़ना चाहता है, चाहे रचनाकार के रूप में, या फिर पाठक के रूप में! क्या कारण है कि लघुकथा आज के दौर की सर्वाधिक लोकप्रिय विधाओं में से एक...

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मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति

            लघुकथा मानवीय संवेदनाओं की सूक्ष्म , संवेदनशील अभिव्यक्ति है। यह अपने समय की संवेदनाओं को शीघ्रता से ग्रहण करती है; इसीलिए इसकी शीघ्र संप्रेषणीयता सार्थक और सफल होती है। यह एक औषधि भी है,...

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यथार्थ की अनूठी कलात्मकता

आज के दौर में कई बार तो ऐसा लगता है कि लंबी कहानियों और उपन्यासों के पाठकों की संख्या भी निरंतर कम हो रही है। दूसरी बात यह भी है कि पाठक को जो रस, आनंद, संवेदना या विचार चाहिए वह लघुकथा में आसानी से...

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लेखकों के लिए पाठशाला

  लघुकथा के आकार-प्रकार, शिल्प और भाव विधान को लेकर अनेक लेख लिखे जा चुके हैं। कहानी और उपन्यास की तरह ही लघुकथा भी गद्य साहित्य में अपने अस्तित्व का उद्घोष कर चुकी है। अब इस संदर्भ में उसे अपनी...

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कम शब्दों में बड़ी बात

‘लघुकथा कम शब्दों में बड़ी बात कहती है…।’क्षण विशेष की रचना है….।’लघुकथा में कथा तत्व के साथ शिल्प, कथानक, शीर्षक तथा कसावट आदि प्रमुख तत्व है…लघुकथा विसंगतियों पर प्रहार करे….  सबसे पहले मुझे अपने...

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लेखकों के लिए पाठशाला

लघुकथा के आकार-प्रकार, शिल्प और भाव विधान को लेकर अनेक लेख लिखे जा चुके हैं। कहानी और उपन्यास की तरह ही लघुकथा भी गद्य साहित्य में अपने अस्तित्व का उद्घोष कर चुकी है। अब इस संदर्भ में उसे अपनी सार्थकता...

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पसंदीदा लघुकथाएँ

लघुकथाओं के महासागर में से किन्ही दो लघुकथाओं को पसंदीदा बताना स्वयं लघुकथाकार होते हुए बड़ा धर्मसंकट खड़ा कर देता है। मेरे पास आलोचकों वाली परिष्कृत भाषा तो नहीं है, परंतु विगत कुछ वर्षों में इस विधा...

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अनूठे संसार का निर्माण

मानव सभ्यता का विकास होने के बाद अपनी भावनाओं के सम्प्रेषण के लिए भाषा के साथ लिपि का भी अविष्कार हुआ जो अपने आरंभिक रूप में चित्र लिपि से विकसित होते हुए वर्तमान में विभिन्न रूपों में उपलब्ध है।भाषा व...

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लघुकथा का प्रभाव

वाङ्मय अपना स्वरूप और स्वभाव समय और समाज के सापेक्ष बदलता रहता है।एक समय था जब साहित्य सृजन का माध्यम काव्य था।समय के साथ-साथ हिन्दी साहित्य में गद्य का आविर्भाव हुआ।गद्य के अनेक रूपों में...

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